लोकतंत्र कभी भी पुलिस राज्य नहीं हो सकता'
लोकतंत्र कभी भी पुलिस राज्य नहीं हो सकता': सुप्रीम कोर्ट ने जमानत के महत्व पर जोर दिया, अनावश्यक गिरफ्तारी और रिमांड को रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी किए
सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में "जेल नहीं जमानत" नियम के महत्व पर जोर दिया और अनावश्यक गिरफ्तारी और रिमांड को रोकने के लिए कई दिशानिर्देश जारी किए। सतेंद्र कुमार अंतिल बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो के मामले में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ द्वारा दिए गए फैसले में स्वीकार किया गया कि भारत में जेलों में विचाराधीन कैदियों की बाढ़ आ गई है।
फैसले में कहा गया, " भारत में जेलों में विचाराधीन कैदियों की बाढ़ आ गई है। हमारे सामने रखे गए आंकड़े बताते हैं कि जेलों के 2/3 से अधिक कैदी विचाराधीन कैदी हैं। इस श्रेणी के कैदियों में से अधिकांश को एक संज्ञेय अपराध के पंजीकरण के बावजूद गिरफ्तार करने की भी आवश्यकता नहीं हो सकती है जिन पर सात साल या उससे कम के लिए दंडनीय अपराधों का आरोप लगाया गया है। वे न केवल गरीब और निरक्षर हैं, बल्कि इसमें महिलाएं भी शामिल हैं। इस प्रकार, उनमें से कई को विरासत में अपराध की संस्कृति मिली है।"
केस टाइटल : सतेंद्र कुमार अंतिल बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो | 2022 (एससी) 577