आई टी एक्ट की धारा 67

आई टी एक्ट की धारा 67
आई टी एक्ट 2000 , इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से किये जाने वाले अपराधों को रोकने एवं उस से जुड़े अपराधों की सज़ा देने के लिए बनाया गया था। सोशल मीडिया से सम्बंधित अपराध भी आई टी एक्ट के अंतर्गत ही आते हैं। आई टी एक्ट की धारा 67 के अंतर्गत सोशल मीडिया पर या कहीं अन्य इलेक्ट्रॉनिक रूप में किसी ग़लत कमेंट, अश्लील सामग्री आदि पब्लिश करने पर दंड का प्रावधान है। जुर्माने के साथ साथ 3 सालों तक सज़ा जो बढ़ाया भी जा सकता है।

 आई पी सी की धारा 153 A, 153 B, 292, 295 A और 499 के तहत सोशल मीडिया और किसी व्यक्ति को अपमान जनक सन्देश और उसके ख़िलाफ़ ग़लत कमेंट करने पर सजा का प्रावधान है । इन सभी धाराओं में ऐसी बहुत सी बातों के लिए सजा के प्रावधान हैं जो सोशल मीडिया पर ज़्यादा फैली हुई थी , इनके अंतर्गत सोशल मीडिया के माध्यम से  साम्प्रदायिकता फैलाना, धार्मिक भावनाओ को आहत करना, अश्लीलता फैलाना , किसी पर ग़लत कमेंट करना आदि शामिल हैं। इन सभी धाराओं के अंतर्गत सोशल मीडिया पर ग़लत कमेंट करने पर सज़ा का प्रावधान है।

इस के साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी आपत्ति जनक पोस्ट पर लाइक अथवा कमेंट करना भी सही नहीं है। ऐसा करने का मतलब है कि आप उस विचार का समर्थन करते हैं और आपको भी आई टी एक्ट के अंतर्गत उतनी ही सजा हो सकती है जितनी कि पोस्ट पब्लिश करने वाले व्यक्ति को।

 आई टी एक्ट की धारा 67 A
आई टी एक्ट की धारा 67 A बहुत ही संगीन जुर्म से जुड़ी हुई है। दरअसल आई टी एक्ट की धारा 67A सोशल मीडिया या अन्य किसी भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से बच्चों को किसी भी यौन कृत्य में सम्मलित करने वाली सामग्री को प्रसारित करने, बनाने या आगे भेजने को प्रतिबंधित करता है साथ ही इस के लिए सज़ा भी देता है। आई टी एक्ट की धारा 67A के तहत आरोपी को पांच वर्ष की कैद और जुर्माने का प्रावधान है। वहीं आई टी एक्ट की धारा 67 A के तहत यदि आरोपी दूसरी बार इस जुर्म में पकड़ा जाता है तो सजा सात साल तक बढ़ाए जा सकने के प्रावधान हैं