अग्रिम जमानत मामले में अनिश्चितकालीन स्थगन किसी व्यक्ति के मूल्यवान अधिकार के लिए नुकसानदेहः सुप्रीम कोर्ट

अग्रिम जमानत मामले में अनिश्चितकालीन स्थगन किसी व्यक्ति के मूल्यवान अधिकार के लिए नुकसानदेहः सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अग्रिम जमानत संबंधित मामले में अनिश्चितकालीन स्थगन, वह भी स्वीकार करने के बाद, किसी व्यक्ति के मूल्यवान अधिकार के लिए नुकसानदेह है।

सीजेआई एनवी रमाना की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, "जब कोई व्यक्ति अदालत के समक्ष मौजूद होता है और वह भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामले में तो कम से कम यह उम्मीद की जाती है कि ऐसे व्यक्ति को उसके मामले की योग्यता के आधार पर एक या दूसरे तरीके से नतीजे दिया जाएं और उसे बिना सुने अनिश्चितता की स्थिति में न धकेलें..।

याचिकाकर्ता ने मौजूदा मामले में सीआरपीसी की धारा 438 के तहत एक अर्जी दायर की थी। अग्रिम जमानत और आईए के साथ एकपक्षीय अंतरिम जमानत / अंतरिम सुरक्षा की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने 17.01.2022 को आवेदन स्वीकार किया, हालांकि 'उचित समय में ' अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

केस टाइटल : राजेश सेठ बनाम छत्तीसगढ़ राज्य | एसएलपी (सीआरएल) 1247/ 2022