अगर किसी थाने में हम FIR करने जाए और वो FIR ना करे तो हमें क्या करना चाहिए?

अगर किसी थाने में हम FIR करने जाए और वो FIR ना करे तो हमें क्या करना चाहिए?

अपराधिक घटना घटित हो जाने के उपरांत क्षेत्रीय थाने में तुरंत सूचना देना होता है यह सूचना मौखिक अथवा लिखित हो सकती है

आपकी सूचना के आधार पर पुलिस थाना प्रभारी अथवा उनके अधीनस्थ जिम्मेवार पुलिस अधिकारी आप की सूचना के आधार पर एफ आई आर लिखते हैं

एफ आई आर लिखने के उपरांत थाने के सक्षम पुलिस अधिकारी को मामला अभियोजन कार्रवाई हेतु दिया जाता है जिसे पुलिस इन्वेस्टिगेशन के नाम से जाना जाता है इसी बीच आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है जहां से आरोपी को जेल भेजा जाता है अभियोजन कार्रवाई पूर्ण होने के उपरांत संबंधित न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष चालान प्रस्तुत किया जाता है

न्यायिक दंडाधिकारी चालान प्राप्त करने के उपरांत यह मुकदमा यदि यह मामला सत्र न्यायालय के समक्ष विचारण योग्य है तो मामले में कमिटल ऑर्डर पास करके सत्र न्यायालय को प्रेषित किया जाएगा और यदि न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष विचारणीय मामला है तो संबंधित न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष प्रेषित किया जाएगा, आरोपी पर चार्ज लगाया जाएगा अभियोजन द्वारा प्रस्तुत गवाहों के बयान लिखे जाएंगे आरोपी के अधिवक्ता को प्रति परीक्षण का अवसर दिया जाएगा, आरोपी को भी सुनवाई का अवसर दिया जाकर अंतिम तक उपरांत न्यायाधीश मुकदमे में अपना फैसला सुनायेगे

यदि थाना प्रभारी अथवा उनके अधीनस्थों द्वारा आपकी f.i.r. नहीं लिखी जाती है f.i.r. लिखने में आनाकानी की जा रही है तो आप उनके वरिष्ठ अधिकारी, जिले के पुलिस अधीक्षक को इस बात को लेकर शिकायत कर सकते हैं पुलिस अधीक्षक द्वारा संबंधित थाने को निर्देशित किए जाने के उपरांत आपकी f.i.r. लिख ली जायेगी

पुलिस अधीक्षक को शिकायत करने के उपरांत भी यदि f.i.r. नहीं लिखी जाती है तो आपको अपने परिचित अनुभवी अधिवक्ता महोदय से संपर्क कर न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष परिवाद प्रस्तुत करना होगा न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 200 के अंतर्गत परिवाद पत्र प्रस्तुत किया जाएगा जिसमें प्रारंभिक साक्ष दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 202 के अंतर्गत आपके और घटना को समर्थित करने वाले साक्षी के बयान रिकॉर्ड किए जाएंगे मामला रजिस्टर्ड होगा आरोपी को समन एवं वारंटी भेजा जाएगा उपस्थित होने पर उसे जमानत कराना होगा यदि मामला संगीन है आपका मामला पुलिस के माध्यम से और आगे की कार्यवाही शासकीय अधिवक्ता द्वारा की जायेगी..